हिमाचल प्रदेश की कशिश ने दी विश्व वन्यजीव दिवस की जानकारी…

हिमाचल प्रदेश की कशिश ने दी विश्व वन्यजीव दिवस की जानकारी।

बाल लेखिका कशिश।

जीवो के लिए प्यार जगाओ,
जंगल में ना आग लगाओ।
वन्य जीव संरक्षण का वचन निभाओ,
हर एक जीव को बचाओ।।

वन्यजीवों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 3 मार्च विश्व वन्यजीव दिवस के रूप में मनाया जाता है। दुनिया भर से लुप्त हो रहे वनस्पतियों और जंगली जीव जंतुओं की प्रजातियों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर वर्ष 3 मार्च को यह विशेष दिवस मनाया जाता है।
विश्व वन्यजीव दिवस का इतिहास –
मार्च 2013 में बैंकॉक थाईलैंड में लुप्त पाई प्रजातियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर पार्टियों के सम्मेलन की 16वीं बैठक आयोजित की गई। उन्होंने 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस घोषित करने का प्रस्ताव पास किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 दिसंबर,2013 को 68वें सत्र में 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस के रूप में घोषित करने का निर्णय लिया। 3 मार्च 2014 को पहली बार विश्व वन्यजीव दिवस मनाया गया था।
यह दिन लोगों को शिक्षित करता है तथा अन्य वन्य जीव अपराधों के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करता है।

विश्व वन्यजीव दिवस 2024 की थीम : “कनेक्टिंग पीपल एंड प्लेनेट एक्सप्लोरिंग डिजिटल इन्नोवेशन इन वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन है।”

वर्तमान में यह जानवरों और पौधों की 37000 से अधिक प्रजातियों को विभिन्न प्रकार की सुरक्षा प्रदान करता है। विश्व वन्यजीव दिवस का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी पर जैव विविधता के नुकसान की दर को कम करना है और परिस्थितिक सिद्धांतों ,जैसे ;क्षमता,उत्तराधिकार और शांति तथा अन्य पर्यावरणीय परिस्थितियों,जैसे ; पेडोलॉजी,भौतिक भूगोल और जल विज्ञान को ध्यान में रखना है।
पर्यावरण में जीव जंतु तथा पेड़ पौधों के योगदान को पहचान कर तथा धरती पर जीवन के लिए वन्यजीवों के अस्तित्व का महत्व समझते हुए हर साल ‘विश्व वन्यजीव दिवस’ अथवा ‘वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे’ मनाया जाता है!

डिजिटल बाल मेला ने मार्च माह के महत्वपूर्ण दिनों पर एक लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया है। प्रतियोगिता के अंत में जिस बच्चे की लेखन कला सबसे अच्छी होगी उसे 1100 रुपये का नकद पुरस्कार भी दिया जाएगा। आप भी इसमें भाग ले सकते हैं। आपके द्वारा लिखे गए लेख डिजिटल बाल मेला में भेजें। बाल लेखकों द्वारा लिखे गए आलेखों को डिजिटल बाल मेला की वेबसाइट पर पोस्ट किया जाएगा।

डिजिटल बाल मेला की शुरुआत कोरोना काल में बच्चों की बोरियत को दूर करने के लिए जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह विद्यालय की छात्रा जान्हवी शर्मा द्वारा की गई थी। इसके तहत अभी तक कई अभियानों का आयोजन किया जा चुका है जिसमें “बच्चों की सरकार कैसी हो?” “मैं भी बाल सरपंच” “कौन बनेगा लोकतंत्र प्रहरी” “म्यूजियम थ्रू माय आइज” आदि शामिल हैं।

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