जानिए ऑटिस्टिक प्राइड डे के बारे में।
बाल लेखक पारस माली।
ऑटिस्टिक प्राइड डे हर साल 18 जून को दुनिया भर में ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों और वयस्कों को सम्मानित करने और उन्हें अच्छे माहौल के साथ बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए मनाया जाता है। आपको बता दें कि ऑटिज्म एक न्यूरोलॉजिकल विकार है, जो आमतौर पर बच्चे के तीन साल का होने से पहले शुरू हो जाता है। हर बच्चे में इसके लक्षण अलग-अलग होते हैं। इससे प्रभावित बच्चा एक ही बात को बार-बार दोहराता है। ऑटिज्म से पीड़ित लगभग चालीस प्रतिशत बच्चे बोल नहीं पाते हैं। कुछ बच्चे बुद्धिमान होते हैं, जबकि कुछ बच्चों को सीखने और समझने में काफी दिक्कत होती है। ऑटिज्म का कारण आनुवंशिक और पर्यावरणीय भी हो सकता है। आइए जानते हैं ऑटिस्टिक प्राइड डे मनाने के इतिहास और उद्देश्य के बारे में। ऑटिस्टिक प्राइड डे का इतिहास ऑटिस्टिक प्राइड डे मनाने की शुरुआत ब्राजील से हुई थी। साल 2005 में गैरेथ और एमी नेल्सन द्वारा बनाए गए एस्पीज फॉर फ्रीडम (एएफएफ) द्वारा ब्राजील में पहली बार ऑटिस्टिक प्राइड डे मनाया गया था। जिसके बाद से यह दिन पूरी दुनिया में मनाया जाने लगा।
यह डिजिटल बाल मेला द्वारा बच्चों की लेखन क्षमता बढ़ाने के लिए आयोजित प्रतियोगिता है। इसमें हर महीने बेहतरीन आर्टिकल भेजने वाले बच्चे को ‘राइटर ऑफ दी मंथ’ के खिताब से नवाज़ा जाता है एवं विजेता को ₹1100 की राशि प्रदान की जाती है। हम ये प्रतियोगिता हर महीने आयोजित करते हैं, आपको किन-किन विषयों पर आर्टिकल लिखने हैं इसकी जानकारी डिजिटल बाल मेला द्वारा हर महीने के अंत में दी जाती है। बाल लेखकों द्वारा लिखे गए आलेखों को डिजिटल बाल मेला की वेबसाइट पर पोस्ट किया जाता है।
अगर किसी बच्चे में लेख लिखने की क्षमता है तो डिजिटल बाल मेला आपको ये मंच प्रस्तुत करता है। आप अपना लेख डिजिटल बाल मेला के व्हाट्सऐप नंबर
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