आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर हिमाचल प्रदेश की रितिका ने रखे तथ्य। 

बाल लेखिका रितिका।

भारत एक बहु आपदा प्रवण देश है जहाँ दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले सबसे अधिक आपदाएँ घटती हैं , भारत के 28 राज्यों एवं 8 केंद्र शासित प्रदेशों में प्राकृतिक आपदाओं जैसे चक्रवात, भूकंप, भूस्खलन, बाढ़ और सूखे जैसी आदि का कहर निरंतर रहता है।

सबसे पहले तो हम अपने राज्य में ही इस वर्ष हुए आपदा संबंधी हुए नुकसानों के बारे में बात कर लेते हैं:

प्राकृतिक आपदा ने हिमाचल को पहुंचा दिया दस वर्ष पीछे, सैकड़ों मौतें और हज़ारों से छीने आशियाने

हिमाचल में मानसून समाप्त होने को अभी भी डेढ़ माह है लेकिन अभी तक देवभूमि में बरसात बादल फटने बाढ़ और भूस्खलन से हुए नुकसान ने हिमाचल में विकास की गति को शून्य करने के साथ विकास में दस वर्ष पीछे लाकर खड़ा कर दिया है।

प्रदेश में मानसून के दौरान नुकसान :

विभिन्न कारणों से मौतें, 341 पशुओं की मौत, 6046 नुकसान का कुल आकलन 8075.44 करोड़ मकान पूरी तरह से ध्वस्त, 2208 मकानों के नुकसान हुआ, 9802 दुकानें क्षतिग्रस्त, 299 गौशाला क्षतिग्रस्त, 4677 लोकनिर्माण विभाग का नुकसान, 2691.41 करोड़ जल शक्ति विभाग का नुकसान, 1860.52 करोड़ बिजली बोर्ड को नुकसान, 1707.35 कृषि विभाग, 335.73 बगावनी विभाग, 173.30 करोड़ शिक्षा विभाग, 118.90 करोड़ शहरी विकास विभाग. 88.82 करोड ग्रामीण विकास विभाग 369.53 करोड़ अन्य विभाग 121. 87 करोड़ |

हाल ही में भारत के कुछ अन्य राज्यों में आपदा से हुए नुकसान :

सिक्किम के मंगन जिले की लोनाक झील के कुछ हिस्सों में ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड के कारण तीस्ता नदी के निचले हिस्से में बहुत तेजी से जल स्तर में वृद्धि हुई थी। अभी तक यहां 14 लोगों की मौत हो चुकी है। इस आपदा से मंगन, गंगटोक, पाकयोंग और नामची जिलों में बड़ा नुकसान पहुंचा है। उत्तरी सिक्किम में ल्होनक झील के कुछ हिस्सों में झील के फटने से पानी का स्तर 15 मीटर तक बढ़ गया।

सिक्किम में आई प्राकृतिक आपदा में अभी तक 14 लोगों की मौत हो गई है और 102 लोग लापता बताए जा रहे हैं। लापता लोगों में 22 सैन्यकर्मी भी हैं. एक सैनिक जिसे रेस्क्यू किया गया था उसका इलाज जारी है और उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। इस आपदा में 20 हजार लोग प्रभावित हुए हैं। तीस्ता नदी में पश्चिम बंगाल तक सर्च ऑपरेशन जारी है।

डिजिटल बाल मेला बच्चों के बीच जागरूकता पैदा करने और उनकी कला को प्रदर्शित करने के लिए बच्चों द्वारा स्थापित एक मंच है।

डिजिटल बाल मेला ने सितंबर एवं अक्तूबर माह के महत्वपूर्ण दिनों पर एक लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया है। प्रतियोगिता के अंत में जिस बच्चे की लेखन कला सबसे अच्छी होगी उसे 1100 रुपये का नकद पुरस्कार भी दिया जाएगा। आप भी इसमें भाग ले सकते हैं। आपके द्वारा लिखे गए लेख डिजिटल बाल मेला में भेजें। बाल लेखकों द्वारा लिखे गए आलेखों को उनकी फोटो के साथ डिजिटल बाल मेला की वेबसाइट पर पोस्ट किया जाएगा।

  डिजिटल बाल मेला बच्चों के लिए अपनी प्रतिभा और रचनात्मकता दिखाने का एक अभिनव मंच है। इसकी शुरुआत 2020 में जयपुर की 10 वर्षीय लड़की जान्हवी शर्मा ने की थी। डिजिटल बाल मेला ने अब तक कई अभियान चलाए हैं जिनमें “राजस्थान विधानसभा बाल सत्र”, “हिमाचल प्रदेश विधानसभा बाल सत्र”, “मैं भी” शामिल हैं। बाल सरपंच” आदि।

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