सोशल इंजिनियर के जादूगर के नाम से भी हैं मशहूर
शिवाक्ष
बिहार की राजनीति में चाणक्य नाम से मशहूर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक मंझे हुए राजनेता हैं। सोशल इंजीनियरिंग के जादूगर नीतीश कुमार ने सुशासन के मुद्दे पर पिछला चुनाव लड़कर बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल की थी। नीतीश कुमार अब तक तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त कर चुके हैं। विचारों से समाजवादी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी सुलझे हुए नेता माने जाते हैं। नीतीश कुमार का जन्म साल 1951 में बिहार के एक दलित परिवार में हुआ था। नीतीश का उपनाम मुन्ना है। नीतिश के पिता एक स्वतंत्रता सेनानी थे।
नीतीश कुमार देश के इकलौते नेता हैं जिन्होंने 8वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. बिहार की राजनीति में 2005 से अब तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ज्यादातर समय नीतीश कुमार ही विराजमान रहे हैं. इस दौरान सूबे की सरकार को चलाने वाली टीम भले ही बदली हो, उसकी कमान आमतौर पर नीतीश कुमार के पास ही रही है. नीतीश कुमार पहली बार 1985 में बिहार के नालंदा जिले की हरनौत विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे. इससे पहले 1977 और 1980 के विधानसभा चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. 1989 में पहली बार सांसद बने।
नीतीश कुमार 1989 में पहली बार बिहार के बाढ़ से संसद के लिए चुने गए. इसके बाद 1996,1998 और 1999 में भी उन्होंने संसदीय चुनाव जीते.1990 में नीतीश कुमार पहली बार केंद्र में कृषि राज्य मंत्री बने1998 में नीतीश कुमार केंद्रीय रेल मंत्री बने. उन्होंने 19 मार्च 1998 से 5 अगस्त 1999 तक यह जिम्मेदारी संभाली. 14 अप्रैल 1998 से 5 अगस्त 1999 तक भूतल परिवहन विभाग का अतिरिक्त कार्यभार भी उनके पास रहा. 1999 में नीतीश कुमार कृषि मंत्री बने. यह जिम्मेदारी उन्होंने 22 नवंबर 1999 से 3 मार्च 2000 तक संभाली.
3 मार्च 2000 को नीतीश कुमार ने पहली बार एनडीए की तरफ से बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाने की वजह से सात दिन में ही कुर्सी चली गई.मई 2000 से मई 2004 तक नीतीश कुमार केंद्र में पहले रेल और फिर कृषि मंत्री रहे. 2004 में नालंदा से लोकसभा चुनाव जीता और लोकसभा में जेडीयू संसदीय दल के नेता बने.
2005 में दूसरी बार बने मुख्यमंत्री : नीतीश कुमार ने साल 2005 में हुए मध्यावधि चुनाव में आरजेडी को हराकर पहली बार बहुमत हासिल किया और पूरे 5 साल तक पद पर बने रहे. 2010 में फिर मिली जीत : नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए ने साल 2010 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल की और वे फिर से मुख्यमंत्री बने.2013 में NDA का साथ छोड़ा : नीतीश कुमार ने 2013 में नरेंद्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद एनडीए का साथ छोड़ दिया. 2014 के लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद नीतीश कुमार ने सीएम का पद छोड़कर अपने ही दल के जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया. 2015 में मांझी से अनबन के कारण नीतीश कुमार ने एक बार फिर से बिहार की कमान अपने हाथ में ले ली. इसके लिए उन्होंने फरवरी 2015 में चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और बड़ी जीत हासिल की. \
नीतीश कुमार ने 20 नवंबर 2015 को महागठबंधन के नेता के तौर पर पांचवी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. 2017 में महागठबंधन से अलग हुए. इसके बाद फौरन बाद उन्होंने बीजेपी के समर्थन से छठी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. नीतीश कुमार ने 2020 में बीजेपी के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा, जिसमें उनकी पार्टी को सिर्फ 43 सीटें मिलीं. लेकिन बीजेपी ने बड़ा दल होने के बावजूद नीतीश कुमार को ही सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवाई. नीतीश कुमार ने बीजेपी पर अपनी पार्टी को तोड़ने का आरोप लगाया और एनडीए से रिश्ता तोड़ते हुए सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. 10 अगस्त 2022 को 8वीं बार बने मुख्यमंत्री : इस्तीफा देने के अगले ही दिन नीतीश कुमार ने आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट के समर्थन से एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
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