गणेश चतुर्थी- ज्ञान और एकता का उत्सव।
बाल लेखिका कशिश।
आज गणेश चतुर्थी का महापर्व है। भारत के सभी त्योहारों में गणेश महोत्सव बहुत ही खास होता है। वैसे तो हर महीने की चतुर्थी तिथि को गणेश जी की पूजा की जाती है. लेकिन, भाद्रपद मास की गणेश चतुर्थी बहुत ही खास मानी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी को मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान गणेश को देवी पार्वती ने अपने शरीर की मिट्टी से बनाया था। उन्होंने मिट्टी की मूर्ति में प्राण फूंक दिए और उसे अपना पुत्र घोषित कर दिया। गणेश का स्वरूप विशिष्ट है, जिसमें हाथी का सिर है, जो ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक है, और गोल शरीर है, जो ब्रह्मांड का प्रतीक है। उनका अनूठा रूप इस विचार को दर्शाता है कि सच्चा ज्ञान पूरी सृष्टि को समाहित करता है।
गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन गणेश जी की प्रतिमा को देश के हर घर गली मोहल्ले व राज्य में पंडाल बनाकर स्थापित किया जाता है और यह महोत्सव लगातार दस दिनों तक चलता है एवं 11वें दिन गणेश जी की मूर्ति को पानी में विसर्जित किया जाता है। गणेश चतुर्थी पर भक्त व्रत रखते है और जीवन में सफलता, खुशहाली व सुख-शांति की कामना करते हैं।
महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी की एक अलग ही धूम होती है। खासकर मुंबई में तो यह नजारा देखने लायक होता है। यहां पर गणेश उत्सव के दौरान संपूर्ण देश के लोग ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग यहां गणेश उत्सव देखने आते है। हर जगह अलग-अलग थीम के भव्य पंडाल तैयार करके बहुत ही खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है। पंडालों में भगवान गणेश की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती हैं, मोदक व लड्डू का भोग लगाया जाता है, नियमित आरती की जाती है। बड़ी संख्या में लोग भगवान गणेश के दर्शन के लिए आते हैं और आर्शीवाद प्राप्त करते है । गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि दर्शन करने वालों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। गणेश जी की बैठक तक पंडालों और आस पास के गली मोहल्ले में रौनक बनी रहती है।
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