ग्राम पंचायतों के बारे में डिजिटल बाल मेला करेगा बच्चों को “शिक्षित, सक्रिय और सहभागी”..
आदित्य शर्मा|
जयपुर| महात्मा गाँधी ने आज़ाद भारत से पहले आदर्श ग्राम का सपना देखा था, जिसे आजाद भारत में जीने का मौका मिला| आदर्श ग्राम जहाँ का विकास ग्रामीण जरूरतों के हिसाब हो, जिसे ग्राम की अपनी सरकार बनाकर संभव किया जा सकता था| इसकी शुरुआत के लिए गाँधी जयंती से शुभ और क्या ही दिन होता, इसलिए 2 अक्टूबर 1959 में पंडित जवाहरलाल नेहरु ने इसकी शुरुआत की| धरती चुनी गयी राजस्थान के नागौर ज़िलें की, जिसके बाद ग्रामीण विकास कार्यों ने कभी पीछे मुड़कर ना देखा| पर अब बारी है इन विकास कार्यों को दुगुनी रफ्तार से बढ़ाने की, देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की| नए युग के भारत का यह सपना तब ही पूरा हो सकता है जब इसकी जडें मजबूत हो, और इसीलिए डिजिटल बाल मेला और यूनिसेफ अपने नए अभियान की शुरुआत करने जा रहा है|
“मैं भी बाल सरपंच” अभियान गाँधी जी के सपने को साकार करने के लिए एक कदम….
इस अभियान में गाँधी जी शिक्षा को मध्यनज़र रखते हुए डिजिटल बाल मेला और यूनिसेफ बच्चों को पंचायत राज प्रणाली के बारे शिक्षित करेगा, जिससे वह अपने ग्राम में सक्रिय हो, और पंचायत में उनकी सहभागिता बढ़े| इस अभियान का लक्ष्य ही है बच्चों की शिक्षा-सक्रियता-सहभागिता| कल गाँधी जयंती के दिन डिजिटल बाल मेला “मैं भी बाल सरपंच” अभियान की अधिकारिक शुरुआत नागौर की बरांगना पंचायत से करेगा| 2 अक्तूबर फिर पंचायत इतिहास में अपना नाम दर्ज करेगा साथ ही फिर एक बार नागौर की मिट्टी इतिहास दोहराएगी, बस फर्क होगा पंचायत और “बाल पंचायत” में| इस सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में यूनिसेफ राजस्थान की प्रमुख इसाबेल बारडेम व् बरांगना ग्राम पंचायत के सरपंच हनुमान चौधरी जी मौजूद रहेंगे| इस “बाल पंचायत” के बाद होगा राजस्थान प्रदेश में पंचायतों का कारवां हर संभाग, हर ज़िले, हर पंचायत समिति और हर ग्राम पंचायत को इस अभियान से जोड़ा जाएगा, इनमें “बाल पंचायतों” का आयोजन होगा| यह अभियान राजस्थान के ग्रामीण बच्चों के लिए बदलाव की किरण साबित होगा| अब बस हमें अब कल का इंतज़ार है इस ऐतिहासिक शुरुआत का.