जानिए महावीर जयंती पर भगवान महावीर के बारे में।
शिवाक्ष शर्मा।
महावीर जयंती जैन समुदाय का विशेष पर्व होता है। इस जयंती को भगवान महावीर स्वामी के जन्म के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, चैत्र मास के 13वें दिन महावीर स्वामी का जन्म हुआ था। माना जाता है कि भगवान महावीर का जन्म बिहार के कुंडग्राम/कुंडलपुर के राज परिवार में हुआ था। क्योंकि महावीर जैन का जन्म उसी कुल में हुआ था जिस कुल में भगवान राम का जन्म हुआ था। भगवान राम और महावीर जैन दोनों ही सूर्यवंशी हैं और दोनों का जन्म इच्छवाकु वंश में हुआ है।
भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था। इन्होंने ज्ञान की प्राप्ति के लिए कठोर तप किया। 30 वर्ष की आयु में राजसी सुखों का त्याग करके तप का आचरण किया। 12 साल 6 महीने और 5 दिनों के कठोर तप से इन्होंने अपनी इच्छाओं और विकारों पर नियंत्रण पा लिया और कैवल्य की प्राप्ति। इस कठोर तप को करने के कारण वर्धमान महावीर कहलाए।
महावीर स्वामी ने कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति के बाद चार तीर्थों की स्थापना की साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका। यह सभी तीर्थ लौकिक तीर्थ न होकर एक सिद्धांत हैं। इसमें जैन धर्म के सिद्धांत सत्य, अहिंसा, अपिग्रह, अस्तेय ब्रह्मचर्य का पालन करते हए अपनी आत्मा को ही तीर्थ बानने की बात महावीर स्वामी ने बतायी है।
महावीर स्वामी ने दुनिया को अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, और ब्रह्माचर्य के बारे में बताया है, जिसे जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत के तौर पर जाना जाता है, उन्होनें अपने जीवन में लोगों को सही राह दिखाने और लोगों का मार्गदर्शन करने का काम किया।
डिजिटल बाल मेला की शुरुआत कोरोना काल में बच्चों की बोरियत को दूर करने के लिए जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह विद्यालय की छात्रा जान्हवी शर्मा द्वारा की गई थी। इसके तहत अभी तक कई अभियानों का आयोजन किया जा चुका है जिसमें “बच्चों की सरकार कैसी हो?” “मैं भी बाल सरपंच” “कौन बनेगा लोकतंत्र प्रहरी” “म्यूजियम थ्रू माय आइज” आदि शामिल हैं।
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