नागौर एक बार फिर लिखने जा रहा है इतिहास

Main Bhi Baal Sarpanch

तनय मिश्रा।

2 अक्टूबर 1959 का दिन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है, जिसका इतिहास राजस्थान का नागौर जिला बना था। अब 63 साल बाद एक बार फिर से नागौर इतिहास लिखने जा रहा है। “लोकतंत्र में बच्चों की सहभागिता बढ़ाना” इस ऐतिहासिक शुरुआत का मकसद है।

जयपुर। देश में ज़्यादातर लोग 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती के रूप में जानते हैं। पर यह दिन भारतीय इतिहास में बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। इसी दिन में आधुनिक भारत में सबसे पहले पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई थी। और राजस्थान का नागौर इस ऐतिहासिक पल का गवाह बना था। इसी दिन 1959 में देश के प्रथम और तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने नागौर के बगधरी गाँव में सबसे पहले पंचायती राज व्यवस्था लागू की थी। यह दिन भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। अब 63 साल बाद नागौर एक बार फिर से इतिहास लिखने जा रहा है, जिसका गवाह राजस्थान के साथ ही पूरा देश बनेगा। इस ऐतिहासिक शुरुआत का मकसद है “लोकतंत्र में बच्चों की सहभागिता बढ़ाना।”

Jawahar Lal Nehru implementing Panchayati Raj in Rajasthan

यह भी पढ़ें :- अलखपुरा सरपंच श्रवण राम ने “मैं भी बाल सरपंच” अभियान को बच्चों के लिए बताया शिक्षाप्रद

“मैं भी बाल सरपंच” के माध्यम से नागौर में एक बार फिर लिखा जाएगा इतिहास

2 अक्टूबर 2022 को नागौर में ही “मैं भी बाल सरपंच” अभियान की आधिकारिक शुरुआत होगी, जिसके लिए नागौर की बरांगना पंचायत क्षेत्र को चुना गया है। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे बरांगना के सरपंच हनुमान चौधरी और राजस्थान की यूनिसेफ प्रमुख इसाबेल बार्डम। डिजिटल बाल मेला और यूनिसेफ द्वारा बच्चों के लिए शुरू किये जा रहे इस अनूठे अभियान के ज़रिए बच्चों को देश के पंचायती राज व्यवस्था के बारे में जागरूक करने के साथ ही उन्हें लोकतान्त्रिक समझ देने का कार्य भी किया जाएगा।

अभियान का मूल मकसद

डिजिटल बाल मेला के इस अभियान “मैं भी बाल सरपंच” का मूल मकसद “लोकतंत्र में बच्चों की सहभागिता बढ़ाना” है। इसे अगर सरलता से तीन शब्दों में बताया जाए तो यह “शिक्षा, सक्रियता और सहभागिता” है। इस अभियान के माध्यम से डिजिटल बाल मेला बच्चों को पंचायती राज की शिक्षा देने में मदद करेगा। इससे बच्चों में जागरूकता बढ़ने के साथ ही उनकी अपने क्षेत्र की पंचायत व्यवस्था में सक्रियता भी बढ़ेगी। इसके परिणामस्वरूप बच्चों का इस बारे में रुझान बढ़ेगा और गाँव की पंचायत में उनकी भागीदारी बढ़ेगी। इससे देश के भावी जनप्रतिनिधि तैयार करने में भी मदद मिलेगी।

यह भी पढ़ें :- मैं भी बाल सरपंच: रोहिताश चाहर ने बच्चों के रुझान को बताया प्रभावशाली

डिजिटल बाल मेला अपने अभियान “मैं भी बाल सरपंच” के माध्यम से देश के ग्रामीण और पंचायती क्षेत्र के बच्चों को पंचायती राज प्रणाली के प्रति जागरूक करने का कार्य करता है। इस अभियान के तहत डिजिटल बाल मेला ऑनलाइन और ऑफलाइन सत्र करता है, जिनमें राज्य के दिग्गज नेता बच्चों से पंचायती राज प्रणाली पर संवाद भी करेंगे। इन बच्चों को राजस्थान के गाँव, ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और विद्यालयों के माध्यम से जोड़ा जाएगा। इस अभियान में कई तरह के सत्र, वीडियो एंट्री, क्विज़ और डिबेट प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की जाती हैं। इससे पहले डिजिटल बाल मेला “शेड्स ऑफ कोविड” पेंटिंग प्रदर्शनी का भी आयोजन कर चुका है।

अगर आपका बच्चा भी “मैं भी बाल सरपंच” अभियान से जुड़ना चाहता है, तो आप डिजिटल बाल मेला की वेबसाइट www.digitalbaalmela.com पर रजिस्टर कर सकते हैं या इस नंबर 8005915026 पर वॉट्सऐप/टेलीग्राम के ज़रिए भी रजिस्टर कर सकते हैं। जानकारी के लिए डिजिटल बाल मेला के सोशल मीडिया हैंडल्स फॉलो करें…….

फेसबुक – https://www.fb.com/digitalbaalmela/

इंस्टाग्राम – https://instagram.com/digitalbaalmela

ट्विटर – https://twitter.com/DigitalBaalMela

यूट्यूब – 

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *