इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे पर राजस्थान के पारस माली ने रखी अपनी बात। 

क्यों 11 अक्टूबर को मनाया जाता है इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे, जाने इस आर्टिकल में।     

बाल लेखक पारस माली

 दुनिया धीरे-धीरे तरक्की कर रही है परंतु इस बीच लड़कियां आज भी अपने मौलिक अधिकारों से वंचित है। शिक्षा की कमी, सुरक्षा की मुद्दे और बहुत कुछ चुनौतियां हैं उनके जीवन में उनको अपनी हक की लड़ाई खुद ही लड़नी पड़ती है। इन चुनौतियों को रोशनी में लाने के लिए पूरी दुनिया में यह दिन मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस या इंटरनेशनल डे ऑफ गर्ल चाइल्ड हर वर्ष 11 अक्टूबर को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र (यू एन ) द्वारा मान्यता प्राप्त इस दिन बालिकाओं की जीवन में आने वाली समस्याओं के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य दुनिया भर में लड़कियों की चुनौतियों और जरूरत की ओर ध्यान आकर्षित करना और उनकी अधिकारों को दुनिया के सामने बढ़ावा देना है।

 दुनिया तरक्की कर रही है पर आज हमारी बेटियां अपने अधिकारों से वंचित है। दुनिया की तरक्की के बीच लड़कियां आज भी अपने मौलिक अधिकारों से वंचित हैं। सांस्कृतिक बाधाएं, शिक्षा की कमी, सुरक्षा के मुद्दे और बहुत कुछ चुनौतियां हैं जिनसे लड़कियां आज के समय में लड़ रही हैं। दुनिया में जारी विकास के साथ, लड़कियां अभी भी बुनियादी सुविधाओं जैसे स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य पहुंच और बेसिक सुविधाओं से वंचित हैं। यह दिन लड़कियों को मजबूत करने के लिए समर्पित है ताकि वे एक बेहतर जीवन जी सकें।

क्या है इस दिन का इतिहास-

वर्ष 1995 में, चीन में हुए वर्ल्‍ड कॉन्‍फ्रेंस ऑन वुमेन में लड़कियों के अधिकारों को मान्यता देने के लिए एक ब्‍लूप्रिंट आकार लेना शुरू हुआ। इस कॉन्फ्रेंस में सभी उपस्थित देशों द्वारा सर्वसम्मति से ‘बीजिंग डिक्लेरेशन एंड प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन’ को ‘न केवल महिलाओं, बल्कि लड़कियों के अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए सबसे प्रगतिशील ब्लूप्रिंट’ माना गया।

डिजिटल बाल मेला बच्चों के बीच जागरूकता पैदा करने और उनकी कला को प्रदर्शित करने के लिए बच्चों द्वारा स्थापित एक मंच है।

डिजिटल बाल मेला ने सितंबर एवं अक्तूबर माह के महत्वपूर्ण दिनों पर एक लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया है। प्रतियोगिता के अंत में जिस बच्चे की लेखन कला सबसे अच्छी होगी उसे 1100 रुपये का नकद पुरस्कार भी दिया जाएगा। आप भी इसमें भाग ले सकते हैं। आपके द्वारा लिखे गए लेख डिजिटल बाल मेला में भेजें। बाल लेखकों द्वारा लिखे गए आलेखों को उनकी फोटो के साथ डिजिटल बाल मेला की वेबसाइट पर पोस्ट किया जाएगा।

डिजिटल बाल मेला बच्चों के लिए अपनी प्रतिभा और रचनात्मकता दिखाने का एक अभिनव मंच है। इसकी शुरुआत 2020 में जयपुर की 10 वर्षीय लड़की जान्हवी शर्मा ने की थी। डिजिटल बाल मेला ने अब तक कई अभियान चलाए हैं जिनमें “राजस्थान विधानसभा बाल सत्र”, “हिमाचल प्रदेश विधानसभा बाल सत्र”, “मैं भी” शामिल हैं। बाल सरपंच” आदि।

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