जाने राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के बारे में हिमाचल प्रदेश की कशिश से।
बाल लेखिका कशिश।
स्वतंत्र भारत के निर्माण में भारतीय रेडियो ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इंडिया में हर साल 23 जुलाई रेडियो के सम्मान में को राष्ट्रीय प्रसारण दिवस (Rashtriya Prasaran Divas) के मनाया जाता है। 23 जुलाई 1927 को इंडियन प्रसारण कंपनी ने बंबई स्टेशन से रेडियो प्रसारण शुरू किया था। रेडियो का प्रसारण भारत में लोगों के लिए न्यूज, मैच का प्रसारण और एंटरटेनमेंट के रूप में एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।
1880 में इलेक्ट्रॉनिक मैग्नेटिक तरंग की खोज हुई थी। 1890 में गुल्येल्मो मारकोनी ने रेडियो का आविष्कार किया, लेकिन उन्हें इसका पेटेंट रिकॉर्ड 1896 में मिला। इसके बाद गुल्येल्मो मारकोनी को रेडियो का आविष्कारक माना गया।
राष्ट्रीय प्रसारण दिवस को जानने का सबसे महत्वपूर्ण पहलू उसका इतिहास समझना है। 1927 में आज के दिन देश में पहला रेडियो प्रसारण एक निजी कंपनी, इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी के तहत बॉम्बे स्टेशन से प्रसारित हुआ था।
1927 में मुंबई और कोलकाता में 2 ट्रांसमीटरों से प्रसारण सेवा की शुरुआत हुई थी, लेकिन 1930 में सरकार ने इन ट्रांसमीटरों को अपने अंडर ले लिया और ‘भारतीय प्रसारण सेवा’ के नाम से संचालन शुरू किया गया।
8 जून 1936 को भारतीय राज्य प्रसारण सेवा ऑल इंडिया रेडियो बन गई। ऑल इंडिया रेडियो वास्तव में अपने आदर्श वाक्य – ‘बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय’ पर खरा उतरते हुए जनता को सूचित, शिक्षित करने और मनोरंजन करने की सेवा कर रहा है।
रेडियो की पहुंच भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में है।
ऑल इंडिया रेडियो (AIR) भारत की घरेलू राष्ट्रीय रेडियो प्रसारण सेवा है जो पूरे देश में लाखों घरों तक पहुंचती है।
रेडियो पर मैच का प्रसारण, गीत-संगीत और न्यूज बुलेटिन की वजह से इसका महत्व बढ़ता रहा।
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