हाथियों की संख्या में कमी, जंगलों की कटाई, और वन्यजीवियों के नियंत्रण पर प्रकाश डालता है ये दिवस।
शिवाक्ष शर्मा।
प्रत्येक वर्ष 16 अप्रैल को हाथियों के सामने आने वाले खतरों और उन्हें जीने के लिए विभिन्न कठिनाइयों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए “हाथी बचाओ दिवस (Save the Elephant Day)” मनाया जाता है। हाथी बचाओ दिवस का उद्देश्य लोगों को हाथियों और उनकी दुर्दशा के बारे में शिक्षित करके इस ख़तरनाक प्रवृत्ति को बदलना है, और हाथियों के विलुप्त होने से बचाने में मदद करना है। हाथी बचाओ दिवस की स्थापना थाईलैंड स्थित ‘एलिफेंट रिइंट्रोडक्शन फाउंडेशन’ के द्वारा की गई थी। इसके स्थापना का उद्देश्य आम लोगों के बीच जागरूकता फैलाना था ताकि हाथियों के भविष्य पर उनके कार्यों या निष्क्रियता के महत्व और परिणामों के बारे में समझ विकसित हो। हाथियों की आबादी के लिए पर्यावास का नुकसान एक बड़ा खतरा है। जैसे-जैसे मानव आबादी का विस्तार हो रहा है और जंगलों को कृषि और अन्य उपयोगों के लिए साफ किया जा रहा है, हाथी अपने प्राकृतिक आवास खो रहे हैं। इससे मानव-हाथी संघर्ष में वृद्धि हुई है, क्योंकि हाथियों को मनुष्यों के निवास वाले क्षेत्रों में भोजन और पानी की तलाश करने के लिए मजबूर किया जाता है। WWF के आंकड़ों के मुताबिक इस समय भारत में पैकीडर्म/हाथियों की आबादी करीब 20,000 से 25,000 के बीच है।
अफसोस की बात है कि अफ्रीकी जंगली हाथियों और एशियाई हाथियों दोनों को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) द्वारा लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जबकि अफ्रीकी वन हाथियों को गंभीर रूप से लुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत किया गया है, क्योंकि उनकी आबादी तेजी से घट रही है। इन चुनौतियों के बावजूद, हाथियों की आबादी को बचाने के लिए कई संरक्षण प्रयास चल रहे हैं। इन प्रयासों में अवैध शिकार विरोधी पहल, आवास बहाली परियोजनाएं और समुदाय आधारित संरक्षण कार्यक्रम शामिल हैं। अवैध वन्यजीव व्यापार को संबोधित करने और हाथी दांत और अन्य वन्यजीव उत्पादों की मांग को कम करने के लिए सरकारें और अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी मिलकर काम कर रहे हैं।
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