जानिए हनुमानगढ़ के पारस माली से विश्व सेरेब्रल पाल्सी दिवस के बारे में…

जानिए हनुमानगढ़ के पारस माली से विश्व सेरेब्रल पाल्सी दिवस के बारे में।

 

पारस माली।

 

6 अक्टूबर को पूरी दुनिया में ‘विश्व सेरेब्रल पाल्सी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. सेरेब्रल पाल्सी को अधिकतर सीपी के नाम से पहचाना जाता है. ये मांसपेशियों से जुड़ी एक तरह की बीमारी है, जो पीड़ित व्यक्ति के शारीरिक संतुलन को प्रभावित करने के साथ-साथ मस्तिष्क के विकास में बाधा उत्पन्न करती है. सेरेब्रल पाल्सी को विकलांगता की श्रेणी में रखा गया है, क्योंकि ये रोग पीड़ित को दिमाग और शरीर से विकलांग बनाकर देखने, सुनने, बोलने और सीखने की क्षमता को खत्म कर देता है. एक्सपर्ट्स की माने तो ये बीमारी हर साल कई नवजात शिशुओं में देखने को मिल जाती है, लेकिन इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता की बड़ी कमी है, इसलिए 6 अक्टूबर को हर साल ‘वर्ल्ड सेरेब्रल पाल्सी डे’ के रूप में मनाया जाता है ताकि दुनियाभर में इस रोग के प्रति लोगों को जागरूक और शिक्षित किया जा सके.

सेरेब्रल पाल्सी क्या है?
सेरेब्रल पाल्सी एक गंभीर बीमारी है जिससे हर साल पूरे विश्व में लगभग 70 लाख से भी ज्यादा लोग पीड़ित होते हैं. सेरेब्रल पाल्सी के पीड़ितों में अलग-अलग तरह के लक्षण और परेशानियां नजर आती हैं, जिसके चलते इसे मॉनिटर करना काफी कठिन होता है।

सेरेब्रल पाल्सी के सामान्य लक्षण कुछ इस प्रकार हैं
सेरेब्रल पाल्सी यानी सीपी के लक्षण हर एक बच्चे में अलग पाए जा सकते हैं.– नवजात शिशु में सेरेब्रल पाल्सी के लक्षण कुछ इस प्रकार होते हैं जैसे कम रोना, धीरे-धीरे सांस लेना, अन्य बच्चों के मुकाबले बातचीत करने और खिलाने पर कोई खास प्रतिक्रिया ना देना यानि बच्चे का एक्टिव ना होना.– 1 साल से 3 साल के बच्चों में सामान्य तौर पर सेरेब्रल पाल्सी के लक्षण होते हैं; बच्चे के शरीर का विकास देर से होना, दूसरे बच्चों के मुकाबले देर से बोलना शुरू करना, खाना खाते और पीते समय उसे निगलने में परेशानी का सामना करना हो सकते हैं.

सेरेब्रल पाल्सी दिवस का महत्व
सेरेब्रल पाल्सी एक बेहद गंभीर बीमारी है जिसके प्रति लोग बहुत ज्यादा जागरूक नहीं है. इसीलिए हर साल 6 अक्टूबर को सेरेब्रल पाल्सी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक विशेष योजना बनाई गई है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति को सेरेब्रल पाल्सी के लक्षणों और उपचार के विषय में जानकारी देने और पीड़ित व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया जाता है.

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