जानिए “राजस्थान के ताजमहल” जसवंत थड़ा के बारे में…

जानिए “राजस्थान के ताजमहल” जसवंत थड़ा के बारे में।

शिवाक्ष शर्मा।

 

राजस्थान में आपने कई ऐतिहासिक संरचनाएं देखी होंगी, कोई अपने भव्य महलों के लिए जाना जाता है, तो कोई अपनी प्राचीन कहानियों के लिए फेमस हैं। खूबसूरती के मामले में यकीनन राजस्थान का कोई मुकाबला नहीं।
आप अगर जोधपुर की सैर करने निकले हैं तो जसवंत थड़ा देखना न भूलें। जसवंत थड़ा को मेवाड़ का ताजमहल कहते हैं, क्योंकि इसके निर्माण में शुद्ध संगमरमर का उपयोग किया गया था। जसवंत थड़ा महल में आगरा के ताजमहल की तरह ही छोटे-छोटे गुंबदों का निर्माण किया है, जो इसे और भी अधिक खास बनाते हैं। इस महल में सफेद संगमरमर के अलावा लाल रंग के संगमरमर को भी देखा जा सकता है।

जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग के पास स्थित इस स्मारक को 1906 में जसवंत सिंह के बेटे महाराजा सरदार सिंह द्वारा, महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय के सम्मान और स्मृति में निर्मित एक शिलालेख है। यह आज तक मारवाड़ शाही परिवार के लिए श्मशान घाट के रूप में उपयोग किया जाता है। जसवंत थड़ा जोधपुर की पहाड़ियों के बीच स्थित है जिसे शहर के कई शानदार वास्तुशिल्प स्थलों में से एक माना जाता है।
इस ऐतिहासिक स्मारक की सीढ़ियों पर स्थानीय लोक-संगीत कलाकर स्वागत करते हुए दिख जाएंगे। कुछ राजस्थानी कलाकर भी पर्यटकों का आदर-सत्कार बड़े ही अच्छे ढंग से करते हैं। स्मारक का अंदर का भाग भी खूबसूरत नक्काशी और कलाकृतियों से सजाया हुआ है। स्मारक के आसपास बने महराब और स्तंभ पर्यटकों को काफी ज्यादा आकर्षित करते हैं। इसके अंदर आप कुछ चित्रकारी भी देख सकते हैं, जो शुरुआत शासकों द्वारा की गई थीं। दूर से दिखाई देते गुंबद मुगल वास्तुकला से प्रभावित हैं। तो जब भी आप राजस्थान में आएं तो ब्लू सिटी जोधपुर में इस ऐतिहासिक स्मारक को देखना ना भूलें।

राजस्थान के 75वें स्थापना दिवस के मौके पर डिजिटल बाल मेला ने नये अभियान “रूट्स ऑफ राजस्थान” की है। आपको बता दें की इस अभियान का उद्देश्य बच्चों के दृष्टिकोण से राजस्थान की कला, संस्कृति एवं पर्यटन को बढ़ावा देना एवं बच्चों को राजस्थान की विरासत से परिचित करवाना है।
इसमें बच्चों को आठ से दस मिनट तक की वीडियो बनानी है जिसमें राजस्थान के पर्यटन स्थल एवं राजस्थान की कला और संस्कृति का विवरण हो। ये अभियान 30 जून तक चलेगा।
अपनी वीडियो को आप 30 जून तक डिजिटल बाल
मेला के टेलीग्राम, वाट्सएप एवं अधिकारिक वेबसाइट पर भेज सकते हैं। हर महीने सबसे श्रेष्ठ वीडियो भेजने वाले बच्चे को मोबाइल फोन ईनाम में मिलेगा एवं टॉप 100 बच्चों को विश्व पर्यटन दिवस पर यानी 27 सितंबर को तीन दिन का जयपुर भ्रमण करवाया जाएगा एवं तभी प्रथम स्थान पर रहने वाले बच्चे को पचास हज़ार का ईनाम, द्वितीय स्थान को बीस हज़ार, तृतीय स्थान को दस हज़ार के ईनाम से नवाज़ा जाएगा।
डिजिटल बाल मेला इससे पहले भी बच्चों की रचनात्मकता बढ़ाने के लिए “शेड्स ऑफ कोविड”
म्यूजियम थ्रू माय आइज” जैसे अभियानों का आयोजन कर चुका है।

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