देखने को मिलता है हिन्दू और बोद्ध धर्मं का अद्भुत संगम
गर्वित शर्मा
पौराणिक किन्नौरों की भूमि किन्नौर हिमाचल प्रदेश के उत्तर पूर्व में स्थित एक जिला है। किन्नौर जिले का मुख्याल्य रेकोंग पिओ है। किन्नौर राज्य रामपुर बुशहर रियासत का एक अंग था। यहां पर बहुपति प्रथा पाई जाती है। यहां के प्रसिद्ध राजा थे — प्रतमपाल, चतरसिंह तथा केहरी सिंह, जिसे ‘अजान बाहु’ नाम से भी जाना जाता था। 13 नवम्बर 1914 को बुशहर रियासत का अंतिम शासक राजा पद्मसिंह गद्दी पर बैठा तथा उसने 1947 तक शासन किया। सन् 1948 में बुशहर राज्य केंद्र शासित चीफ कमीश्नर क्षेत्र हिमाचल प्रदेश का हिस्सा बना। 1960 तक वर्तमान किन्नौर जिला, महासू जिला की मिनी तहसील बना।
21 अप्रैल, 1960 को किन्नौर हिमाचल प्रदेश का छठा जिला बना। किन्नौर को देवों की भूमि भी कहते हैं। किन्नौर की भूमि पर हिंदू और बौद्ध धर्म दोनों का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। हिंदू धर्म के लोग यहां पर भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं। यहां पर पांडवों को लेकर भी अनेक कहानियां प्रचलित हैं। इसके अलावा यहां बौद्ध धर्म के बहुत से पुराने मोनेस्ट्री और मंदिर बने हुए हैं। पर्यटकों के लिए यहां पर काफी जगह हैं जैसे की नाको, नारकंडा, सांगला ,सराहन इत्यादि|
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