होली से सम्बंधित पुराणों में क्या लिखा हुआ है- जाने
आदित्य शर्मा।
जयपुर। आपने आज तक होलिका दहन (HoliKa Dahan) की कहानी कई बार सुनी होगी, होलिका, प्रह्लाद, नरसिंह अवतार जैसे नाम से अभी आप परिचित होंगे (Holi 2023)। पर क्या आप रंगों की होली क्यों मनाई जाती है ये जानते है? अगर नहीं तो आज जान लेते है। इससे पहले आपको बता दें की डिजिटल बाल मेला गत कुछ दिनों में आपको होली के कई रंग अपने लेखों से दिखायेगा। (History of Holi)
आइये अब जानते है रंगों की होली का इतिहास….. (Stories related to Holi)
आपको बता दें की होली मानाने के पीछे कई तरह की कहानिया और महत्त्व है, जिनमें – (Why Do We Celebrate Holi)
- मथुरा में होली मनाने देश विदेश के पर्यटक आते है और इसके पीछे का राज़ है वहां अलग-अलग प्रकार से खेले जानी वाली होली। इसकी कहानी हमें श्री कृष्ण के काल में मिलती है। ये होली रूप है श्री कृष्ण द्वारा राधा जी और गोपियों के साथ खेले जाने वाली होली का। इतना ही नहीं इस दिन भक्त अपने भगवान के साथ होली खेलने भी दूर-दूर से आते है।

- धुलंडी पर्व का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। इसके मुताबिक फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के अगले दिन यानी कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर धुलंडी (Dhulandi) पर्व मनाया जाता है। इसके पीछे दो कथाओं का वर्णन है। पहला कि इसी दिन ही भोलेनाथ (Mahadev) ने कामदेव (Kamdev) को उनकी तपस्या भंग करने के प्रयास में भस्म कर दिया था लेकिन देवी रति (Devi Rati) की प्रार्थना पर उन्होंने कामदेव को क्षमा दान देकर पुर्नजन्म दिया। साथ ही रति को यह वरदान दिया कि वह श्रीकृष्ण के पुत्र रूप में जन्म लेंगी। कामदेव के पुर्नजन्म और देवी रति को प्राप्त वरदान की खुशी में संपूर्ण विश्व में फूलों की वर्षा हुई। हर तरफ गुलाल उड़ाकर आंनदोत्सव मनाया गया। कहा जाता है कि यह तिथि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा थी। तब से ही इसे पर्व रूप में मनाया जाने लगा।

- भारत में होली के पीछे संस्कृति के साथ आर्थिक महत्त्व भी है। इन दिनों भारत के किसान अपनी फसलें काटते है, जिसकी चलते भी होली का त्यौहार मनाया जाता है। (Farmers Festival)
डिजिटल बाल मेला (Digital Baal Mela) आपके लिए ऐसे लेख लता रहेगा, साथ ही आपको बता दें की आप भी अपने क्षेत्र में खेले जाने वाली होली को दुनिया तक पहुंचा सकते है।
आपको करना क्या है-
अपने क्षेत्र में खेले जाने वाली होली पर निबंध लिखे या वीडियो बनाये।
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