दीदी के नाम से देशभर में हुई विख्यात
गर्वित शर्मा
पश्चीम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का जन्म 5 जनवरी 1955 को कोलकाता में हुआ था| ममता बनर्जी का पूरा ममता बन्ध्योपाध्याय| इनके पिताजी प्रोमिलेश्वर बनर्जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे जिनकी मृत्यु उपचार के अभाव में हुई थी|
ममता बनर्जी ने मात्र 15 वर्ष की आयु में राजनीति में कदम रख दिया था| योगमाया देवी कॉलेज में अध्ययन के दौरान, उन्होंने कांग्रेस (आई) पार्टी की छात्र शाखा, छात्र परिषद यूनियंस की स्थापना की, जिसने समाजवादी एकता केन्द्र से संबद्ध अखिल भारतीय लोकतान्त्रिक छात्र संगठन को हराया। इसके बाद बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस (आई) पार्टी में, पार्टी के भीतर और अन्य स्थानीय राजनीतिक संगठनों में विभिन्न पदों पर रही| ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य युवा कांग्रेस ने 21 जुलाई 1993 को राज्य की कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ कलकत्ता में राइटर्स बिल्डिंग तक एक विरोध मार्च का आयोजन किया। उनकी मांग थी कि सीपीएम की “वैज्ञानिक धांधली” को रोकने के लिए वोटर आईडी कार्ड को वोटिंग के लिए एकमात्र आवश्यक दस्तावेज बनाया जाए।
वर्ष 1984 के आम चुनावों में, ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में भारत की सबसे कम उम्र वाली सांसद बनी और अखिल भारतीय युवा कांग्रेस की महासचिव के पद पर भी कार्य किया। 1997 में, तत्कालीन पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सोमेंद्र नाथ मित्रा के साथ राजनीतिक विचारों में अंतर के कारण, ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और सर्वभारतीय तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की। वर्ष 1989 में सुश्री बनर्जी ने कांग्रेस विरोधी लहर के कारण अपनी सीट गँवा दी थी, लेकिन वर्ष 1991 के आम चुनाव में ममता बनर्जी ने फिर से वापसी की और केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री, युवा मामले एवं खेल विभाग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग की केंद्रीय राज्य मंत्री बनीं। वर्ष 1996, वर्ष 1998, वर्ष 1999, वर्ष 2004 और वर्ष 2009 के आम चुनाव में ममता ने अपनी सीट बरकरार रखी। वर्ष 1999 में, ममता बनर्जी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार में शामिल हुईं और उन्हें रेलवे मंत्री का कार्यभार सौंपा गया।
वर्ष 2001 में तहलका का पर्दाफाश होने के बाद, ममता बनर्जी ने एनडीए मंत्रिमंडल छोड़ दिया था और पश्चिम बंगाल में 2001 में होने वाले चुनावों में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गई थीं। जनवरी 2004 में, ममता बनर्जी एनडीए मंत्रिमंडल में फिर से वापस आ गईं थी और 20 मई 2004 के आम चुनाव तक कोयला और खान मंत्री का पदभार संभाला था। अक्टूबर 2005 में, ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में बुद्धदेव भट्टाचार्य सरकार की औद्योगिक विकास नीति के नाम पर हो रही स्थानीय किसानों की भूमि अधिग्रहण और हिंसा के खिलाफ विरोध जताया। वर्ष 2005 में ममता बनर्जी को असफलताओं का सामना करना पड़ा था, क्योंकि उनकी पार्टी ने कोलकाता नगर निगम की सत्ता खो दी थी और वर्ष 2006 में तृणमूल कांग्रेस पार्टी पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में अपने कई सदस्यों के हारने के कारण हार गई थी।
वर्ष 2009 में संसदीय चुनावों से पूर्व, ममता बनर्जी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के साथ गठबंधन किया था। इस गठबंधन के द्वारा ममता ने 26 सीटों पर जीत हासिल की थी और वह मंत्रिमंडल में रेल मंत्री के रूप में शामिल हुईं और ये उनका दूसरा कार्यकाल था। वर्ष 2010 में पश्चिम बंगाल की नगरपालिका के चुनाव में, तृणमूल कांग्रेस ने कोलकाता नगर निगम से 62 सीटों के अंतर से जीत हासिल की। 20 मई 2011 को, ममता बनर्जी ने पूर्ण बहुमत से जीत हासिल की और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के 34 साल के शासन का अंत कर दिया।
मुख्यमंत्री के रूप में उनके शुरुआती फैसले में से एक, भूमि अधिग्रहण विवाद में पकड़े गए किसानों को 400 एकड़ जमीन वापस करने का फैसला था। लंबे समय से चल रहे “गोरखालैंड मुद्दा” को सुलझाने का श्रेय भी उन्हें ही दिया जाता है। ममता बनर्जी ने शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों तथा कानून में सुधार करने का प्रस्ताव रखा और पश्चिम बंगाल में प्रवर्तन की स्थिति और लोगों को राज्य के इतिहास और संस्कृति के बारे में जागरूक करने में काफी उत्सुकता दिखाई। 16 फरवरी 2012 को, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने पूरे साल एक भी पोलियो का मामला न दर्ज होने के लिए ममता बनर्जी और उनकी सरकार की प्रशंसा करते हुए एक पत्र भेजा था। ममता बनर्जी ने एपीजे अब्दुल कलाम के लिए जनता से समर्थन प्राप्त करने के लिए एक फेसबुक पेज लॉन्च किया था, जो उस समय होने वाले आगामी राष्ट्रपति चुनाव में उनकी पार्टी की पसंद थे।
राज्य विधान सभा चुनाव 2016 में दूसरी बार ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के रूप में निर्वाचित हुईं। ममता बनर्जी की पार्टी ने कुल 293 सीटों में से 211 सीटों पर जीत हासिल की थी।
2021 में हुए पश्मिम बंगाल विधानसभा चुनावों में ममता बनर्जी ने नदीग्राम सीट से चुनाव लड़ा| इस चुनाव में उन्हें भाजपा के प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी से हार का सामना करना पड़ा| इसके बाद उन्होंने भवानीपुर विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ा जहां उन्होंने जीत दर्ज की| इसके बाद उन्होंने एक बार फिर से पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली|
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