जानिए विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस के बारे में।
शिवाक्ष शर्मा।
हर साल 23 अप्रैल को दुनिया भर में “विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस” मनाया जाता है ।
बदलते समय के साथ कंप्यूटर और इंटरनेट ने पुस्तकों की जगह ले ली है ।
जिस वजह से लोग पढ़ने के लिए किताबों का इस्तेमाल कम ही करते हैं।
तो लोगों को किताबों का महत्व बताने ,इसके मकसद से यूनेस्को ने 23 अप्रैल के दिन को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया ।
विश्व पुस्तक दिवस की शुरुआत सर्वेंट पब्लिशिंग हाउस के निर्देशन रीसेंट क्लेवल द्वारा सन 1922 में की गई थी।
उन्होंने मेगुल दे सर्वेंट को सम्मानित करने के मकसद के साथ इस दिन को मनाने की पहल की थी।
उसके बाद ही 1926 में बार्सिलोना में पहला विश्व पुस्तक दिवस मनाया गया था ।
यह पुस्तक दिवस मेगुल के जन्मदिन पर 7 अक्टूबर को मनाया गया था ,लेकिन बाद में दिवस को मनाने के लिए मेगुएल दे सर्वेंट की मृत्यु का दिन 23 अप्रैल चुना गया ।
विश्व पुस्तक दिवस पर लोगों को पुस्तकों और लेखकों का सम्मान करना सिखाया जाता है ।
यह दिवस उन लोगों के लिए तो बहुत ही खास होता है जिन्हें पढ़ने का शौक होता है ।
विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस यह सुनिश्चित करता है कि साक्षरता को सभी रूपों में बढ़ावा दिया जाना चाहिए और लोगों तक शैक्षिक संसाधनों की हर तरह से पहुंच होनी चाहिए ।
विश्व पुस्तक दिवस दुनिया भर के लोगों खास तौर से मीडिया लेखन और शिक्षाविदों जैसे पुस्तक उद्योग को बढ़ावा देने में योग्यता देने वालों को भी सम्मान देने के लिए मनाया जाता है।
डिजिटल बाल मेला की शुरुआत कोरोना काल में बच्चों की बोरियत को दूर करने के लिए जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह विद्यालय की छात्रा जान्हवी शर्मा द्वारा की गई थी। इसके तहत अभी तक कई अभियानों का आयोजन किया जा चुका है जिसमें “बच्चों की सरकार कैसी हो?” “मैं भी बाल सरपंच” “कौन बनेगा लोकतंत्र प्रहरी” “म्यूजियम थ्रू माय आइज” आदि शामिल हैं। इसी के साथ डिजिटल बाल मेला ने “रूट्स ऑफ राजस्थान” नाम से एक नया अभियान शुरू किया है जिसकी जानकारी आप 8005915026 नंबर पर या नीचे दिए गए लिंक्स से ले सकते हैं।
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