कहा है पांडवों द्वारा स्थापित प्राचीन भीमकुण्ड मंदिर जानिए बांसवाड़ा के अजय प्रागी से…

कहा है पांडवों द्वारा स्थापित प्राचीन भीमकुण्ड मंदिर जानिए बांसवाड़ा के अजय प्रागी से।

 

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थापित भीमकुण्ड मंदिर काफी प्राचीन है। कहा जाता है कि पांडव यहा अपने अज्ञातवास के समय यहा पर आए थे। यहा पर भीम ने शिवजी की पूजा की थी। तब से लोग यहा पर मन्नत मांगने आते है।

इसके पास में ही एक गुफा है कहा जाता है कि यह गुफा यहा से दूर घोटियां अम्बा मंदिर तक जाती हैं, जिसे आदिवासियों का दूसरा कुम्भ कहा जाता है व बांसवाड़ा का सबसे बड़ा मेला लगता है। यहा पर दो कुण्ड है कहा जाता है कि इस कुण्ड का निर्माण भीम ने किया था। एक कुण्ड का नाम है भीमकुण्ड व दूसरे कुण्ड का नाम है द्रोपदी कुण्ड । इस कुण्ड में नहाने से चर्म रोग व अन्य त्वचा संबंधित रोग ठीक हो जाते है। और द्रोपदी कुण्ड में भील अस्तियो का विर्जन करते है। कहा जाता है कि इन कुण्डो में पानी कभी खत्म नहीं होता ।

इसी के पास एक और गुफा है जो यहा से डूंगरपुर जिले के नवाटापरा गांव के बेणेश्वर में निकलती है जिसे आदिवासीयो का कुम्भ भी कहा जाता है।
इसी के साथ कहना चाहता हूं कि साम्राज्य बचाना हो तो शस्त्र उठा लिजिए और संस्कृति बचानी हो तो शास्त्र उठा लिजिए ।
धन्यवाद।

 

अजय ने बांसवाड़ा में स्थित इस प्राचीन मंदिर की विस्तृत जानकारी वीडियो के माध्यम से डिजिटल बाल मेला को भेजी है। जिसे आप डिजिटल बाल मेला के यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं। डिजिटल मेला के इस अभियान “रूट्स ऑफ राजस्थान” की शुरुआत राजस्थान के 75वें स्थापना दिवस के मौके पर की है। आपको बता दें की इस अभियान का उद्देश्य बच्चों के दृष्टिकोण से राजस्थान की कला, संस्कृति एवं पर्यटन को बढ़ावा देना एवं बच्चों को राजस्थान की विरासत से परिचित करवाना है।
इसमें बच्चों को आठ से दस मिनट तक की वीडियो बनानी है जिसमें राजस्थान के पर्यटन स्थल एवं राजस्थान की कला और संस्कृति का विवरण हो। ये अभियान 30 जून तक चलेगा।
अपनी वीडियो को आप 30 जून तक डिजिटल बाल
मेला के टेलीग्राम, वाट्सएप एवं अधिकारिक वेबसाइट पर भेज सकते हैं। हर महीने सबसे श्रेष्ठ वीडियो भेजने वाले बच्चे को मोबाइल फोन ईनाम में मिलेगा एवं टॉप 100 बच्चों को विश्व पर्यटन दिवस पर यानी 27 सितंबर को तीन दिन का जयपुर भ्रमण करवाया जाएगा एवं तभी प्रथम स्थान पर रहने वाले बच्चे को पचास हज़ार का ईनाम, द्वितीय स्थान को बीस हज़ार, तृतीय स्थान को दस हज़ार के ईनाम से नवाज़ा जाएगा।
डिजिटल बाल मेला इससे पहले भी बच्चों की रचनात्मकता बढ़ाने के लिए “शेड्स ऑफ कोविड”
म्यूजियम थ्रू माय आइज” जैसे अभियानों का आयोजन कर चुका है।

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