“कौन बनेगा बाल दूत” पोस्टर का रचनात्मक पुनर्निर्माण
एस.के पब्लिक स्कूल, वार्ड 30 के कक्षा 6 के छात्र कामिल खान ने अपनी रचनात्मक सोच और कलात्मक कौशल का उपयोग करते हुए “कौन बनेगा बाल दूत” अभियान के पोस्टर को न केवल पुनर्निर्मित किया, बल्कि उसमें अपनी अनूठी कल्पनाओं को भी जोड़ा।
पोस्टर की विशेषताएँ:
1. मूल अभियान की झलक – कामिल ने “कौन बनेगा बाल दूत” अभियान के मूल संदेश को बनाए रखते हुए इसे और आकर्षक रूप दिया।
2. कला के माध्यम से जागरूकता – उन्होंने पोस्टर में रंग, ब्रश और पेंट की छवियां जोड़ीं, यह दर्शाने के लिए कि पेंटिंग भी जागरूकता फैलाने का एक सशक्त माध्यम हो सकता है।
3. स्वच्छता और जिम्मेदारी का संदेश – पोस्टर में स्वच्छता और सामाजिक जिम्मेदारी पर बल देते हुए यह दिखाया गया कि बच्चे स्वयं भी बदलाव के वाहक बन सकते हैं।
4. नवाचार और अभिव्यक्ति – कामिल ने पारंपरिक पोस्टर को अपने अंदाज में ढालते हुए उसे और अधिक प्रभावशाली और आकर्षक बनाया।
उनका यह प्रयास दर्शाता है कि बच्चे केवल संदेशों का अनुसरण ही नहीं करते, बल्कि अपनी कल्पनाओं से उन्हें और भी रोचक और प्रभावी बना सकते हैं। यह पोस्टर कला और जागरूकता के मेल का एक सुंदर उदाहरण है, जो अन्य बच्चों को भी प्रेरित करेगा कि वे पेंटिंग और अन्य रचनात्मक तरीकों से समाज में बदलाव लाने के लिए आगे आएं।