बाल लेखक पारस माली।
अंतरराष्ट्रीय छात्र दिवस हर साल 17 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन छात्रों को शिक्षा के बारे में समझाया जाता है और शिक्षा का महत्व बताया जाता है। इस दिन उन छात्रों को सम्मान दिया जाता है जिन्होंने अपने देश को आगे बढ़ाने में योगदान दिया है। कहते है एक देश कैसे मजबूत होता है देश तभी मजबूत हो सकता है जब देश का आने वाले भविष्य मजबूत होगा।
*अंतरराष्ट्रीय छात्र दिवस का इतिहास*।
इस दिन का इतिहास चेकोस्लोवाकिया देश की राजधानी प्राग से जुड़ा हुआ है।1939 में चेकोस्लोवाकिया के कुछ हिस्सों में नाजियो का राज था। उसे समय पराग की स्टूडेंट और वहां के अध्यापकों ने नाजियो के खिलाफ आंदोलन किया था। इस आंदोलन के दौरान नाजियो द्वारा चलाई गई गोलियों में एक स्टूडेंट की मृत्यु हो गयी। इसके बाद भी यह आंदोलन जारी रहा 17 नवंबर 1939 के दिन नाजी सैनिकों ने लगभग 1200 स्टूडेंट्स को गिरफ्तार किया था इनमें से 9 छात्रों को फांसी दे दी गई इसके बाद वहां के सभी स्कूलों और विद्यालयों को बंद कर दिया गया था। उन छात्रों की बहादुरी को याद रखने के लिए इस दिवस को मनाया जाता है।
धन्यवाद।
डिजिटल बाल मेला ने नवंबर माह के महत्वपूर्ण दिनों पर एक लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया है। प्रतियोगिता के अंत में जिस बच्चे की लेखन कला सबसे अच्छी होगी उसे 1100 रुपये का नकद पुरस्कार भी दिया जाएगा। आप भी इसमें भाग ले सकते हैं। आपके द्वारा लिखे गए लेख डिजिटल बाल मेला में भेजें। बाल लेखकों द्वारा लिखे गए आलेखों को डिजिटल बाल मेला की वेबसाइट पर पोस्ट किया जाएगा।
डिजिटल बाल मेला की शुरुआत कोरोना काल में बच्चों की बोरियत को दूर करने के लिए जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह विद्यालय की छात्रा जान्हवी शर्मा द्वारा की गई थी। इसके तहत अभी तक कई अभियानों का आयोजन किया जा चुका है जिसमें “बच्चों की सरकार कैसी हो?” “मैं भी बाल सरपंच” “कौन बनेगा लोकतंत्र प्रहरी” “म्यूजियम थ्रू माय आइज” आदि शामिल हैं।
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