हिमाचल प्रदेश की अर्पिता ने भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के विचारों को किया याद…

बाल लेखिका अर्पिता।

लाल बहादुर शास्त्री भारत के लाल हैं

उनके किये हुए हर काम कमाल हैं|

सुप्रभात| मेरा नाम अर्पिता है मैं लोटस इंटरनेशनल कान्वेंट स्कूल से हूँ| मैं छठी कक्षा की छात्रा हूँ| आज मैं लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथि पर एक विषय प्रस्तुत करने जा रही हूँ|

लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्मदिवस पर 2 Oct. को शास्त्री जयंती व उनके देहावसान वाले दिन 11 Jan. को लाल बहादुर शास्त्री समृति दिवस के रूप मे मनाया जाता है|

इनका जन्म 2 Oct.1904 में मुगलसराय में हुआ| यह परिवार में सबसे छोटे थे| 18 वर्ष की आयु में इनके पिता जी का देहांत हो गया| शास्त्री की उपाधि इन्हें काशी विद्यापीठ से मिली| शास्त्री जी ने अपना सारा जीवन सादगी से बिताया| इन्होनें भारत की आज़ादी की लड़ाई में बढ़-चढ़ कर भाग लिया| कई बार जेल में भी रहे| इनका कहना था कि

 “दिल हमारे एक है, एक ही है हमारी जान

 हिन्दुस्तान हमारा है, हम है इसकी शान

 जान लुटा देंगे वतन पे, हो जायेंगे कुर्बान

 इसलिए हम कहते है, मेरा भारत महान”

अंग्रेजों के सामने इन्हें झुकना पसंद नहीं था| इनको देश भक्ति और ईमानदारी के लिए आज भी उन्हें याद किया जाता है|

 जवाहरलाल नेहरु के निधन के बाद में ये भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने| इनका शासन काल बहुत ही कठिन रहा|

जिनके ही दृढ़ अनुशासन से वह पाक हिंद से हारा था

“जय जवान – जय किसान “

यह इनका ही तो नारा था|

भारत और पाकिस्तान के युद्ध में विराम लाने के लिए रूस और अमेरिका की मिलीभगत से शास्त्री जी को ताशकंद बुलाया गया| जहां पर एक समझौते पर शास्त्री जी ने हस्ताक्षर किए| कुछ घंटे बाद उसी दिन 11 Jan. 1966 की रात में ही उनकी मृत्यु हो गई| आज तक यही रहस्य बना हुआ है कि वाकई उनकी मौत हृदय – गति रुकने से हुई या जहर देकर उनको मारा गया | आज तक उनकी मौत के प्रमाण सही नहीं मिले है| मरणोपरांत वर्ष 1966 में भारत रत्न से इन्हें सम्मानित किया गया|

अंत में, मैं यही कहूँगी,

“भारत के लाल, जिसकी बहादुरी पर सबको नाज है ऐसे शास्त्री जी कि जरूरत देश को आज है”|

धन्यावाद|

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