जानिए राजस्थान के जयपुर शहर में स्थित नाहरगढ़ किले के बारे में…

अपनी नाज़ुक और खूबसूरत नक्काशी और पत्थर के शानदार काम के लिए खूब प्रसिद्ध है।

शिवाक्ष शर्मा।

 

राजस्थान, भारत का साहसी और जीवंत राज्य अपनी शाही विरासत और परंपरा के लिए जाना जाता है। यहां स्थित हवाल महल, सिटी पैलेस, आमेर का किला, जल महल आदि ऐसे कई प्राचीन और प्रसिद्ध इमारत और महल है, जो आज भी सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। ऐसे तो राजस्थान को रजवाडो की भूमि कहा जाता है लेकिन इसे भारत का सबसे प्राचीन और सभ्य राज्य कहना भी गलत नही होगा। जयपुर में स्थित नाहरगढ़ किला अपनी अद्भुत बनावट, रक्षा और ऐतिहासिक साक्ष्यो के लिए पूरे विश्व में विख्यात है। नाहरगढ़ किले को शहर का पहरेदार भी कहा जाता है..नाहर यानि ‘शेर’ का किला।

अरावली पहाड़ियों के बीच और जयपुर के पास नाहरगढ़ का किला राजा जय सिंह द्वितीय, जयपुर के संस्थापक ने बनवाया था।  ने 1734 में बनवाया था। 1868 में ये किला बनकर तैयार हुआ था। कहा जाता है की यह किला पहले आमेर की राजधानी हुआ करता था।
नाहरगढ़ का मतलब बाघों का निवास होता है. इस किले का पहले नाम सुदर्शनगढ़ था। इस किले में रानियों के लिए 12 खास कमरे बनवाए गए थे और राजा के लिए शानदार कमरा बनाया गया था। आज भी ये महल लोगों का एक पसंदीदा स्थान है। 19वीं शताब्दी में सवाई राम सिंह और सवाई माधो सिंह ने भी किले के अन्दर भवनों का निर्माण कराया था।

किले के बारे में कहा जाता है कि जब यहां पर निर्माण कार्य शुरू हुआ। तभी से यहां किसी प्रेतात्मा का साया है. जो प्रेतात्मा किले में बनाई गई दीवारों को रात में गिरा देती थी।
इसके बाद पता करने पर जानकारी मिली कि य़ह जगह राठौर राजा नाहर सिंह भोमिया की थी। लोगों का मानना था कि उनकी आत्मा की वजह से निर्माण में इस तरह की दिक्कतें सामने आ रही थी।
जिसके बाद सवाई राजा मान सिंह ने पास के पुराना घाट पर उनके लिए एक छोटा सा महल बनवाया। नाहर सिंह की आत्मा को जगह मिलने के बाद महल के निर्माण में कभी भी गड़बड़ी नहीं आई।
इस किले का पहले नाम सुदर्शनगढ़ था, लेकिन राठौर राजा नाहर सिंह भोमिया की आत्मा का किस्सा आने के बाद इसका नाम बदलकर नाहरगढ़ कर दिया गया।

इस किले का उपयोग साल1944 तक, जयपुर राज्य सरकार द्वारा अपने आधिकारिक उद्देश्यों के लिए किया जाता था। वर्तमान में इस किले का उपयोग एक पिकनिक स्थल की तरह किया जाता है जो जयपुर में काफी लोकप्रिय है। पर्यटक यहां आकर किले के परिसर में स्थित कैफेटेरिया और रेस्टोरेंट का काफी लुत्फ़ उठाते है। बारिश में यहां का नजरा हिल स्टेशन जैसा लगता है। खिड़कियों से बादलों की आवाजाही देखते ही बनती है। रात में यहां से जयपुर की लाइटिंग भी गजब लगती है।
नाहरगढ़ किला जयपुर में सबसे ज़्यादा इंस्टाग्राम किए जाने वाले स्थानों में से एक है और इसे कई बॉलीवुड फ़िल्मों, विज्ञापन शूट और बहुत कुछ के लिए पृष्ठभूमि के रूप में इस्तेमाल किया गया है। कुछ सबसे लोकप्रिय फ़िल्मों में रंग दे बसंती और शुद्ध देसी रोमांस शामिल हैं।

राजस्थान के 75वें स्थापना दिवस के मौके पर डिजिटल बाल मेला ने नये अभियान “रूट्स ऑफ राजस्थान” की है। आपको बता दें की इस अभियान का उद्देश्य बच्चों के दृष्टिकोण से राजस्थान की कला, संस्कृति एवं पर्यटन को बढ़ावा देना एवं बच्चों को राजस्थान की विरासत से परिचित करवाना है।
इसमें बच्चों को आठ से दस मिनट तक की वीडियो बनानी है जिसमें राजस्थान के पर्यटन स्थल एवं राजस्थान की कला और संस्कृति का विवरण हो। ये अभियान 30 जून तक चलेगा।
अपनी वीडियो को आप 30 जून तक डिजिटल बाल
मेला के टेलीग्राम, वाट्सएप एवं अधिकारिक वेबसाइट पर भेज सकते हैं। हर महीने सबसे श्रेष्ठ वीडियो भेजने वाले बच्चे को मोबाइल फोन ईनाम में मिलेगा एवं टॉप 100 बच्चों को विश्व पर्यटन दिवस पर यानी 27 सितंबर को तीन दिन का जयपुर भ्रमण करवाया जाएगा एवं तभी प्रथम स्थान पर रहने वाले बच्चे को पचास हज़ार का ईनाम, द्वितीय स्थान को बीस हज़ार, तृतीय स्थान को दस हज़ार के ईनाम से नवाज़ा जाएगा।
डिजिटल बाल मेला इससे पहले भी बच्चों की रचनात्मकता बढ़ाने के लिए “शेड्स ऑफ कोविड”
म्यूजियम थ्रू माय आइज” जैसे अभियानों का आयोजन कर चुका है।

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