श्री सन्यास आश्रम कहा है जानिए हनुमानगढ़ के पारस माली से।
इस प्राचीन आश्रम की स्थापना 600 साल पहले हुई थी। कहा जाता है कि यहां पर 6 महाराजनो ने तपस्या की थी गुफा में बैठकर और जब उनकी तपस्या पूरी हो गई तब गुफा के ऊपर शिवजी के मंदिर की स्थापना की गई। उसके बाद वहां कई सारे महाराज आए और उन्होंने अपना शरीर जीवित छोड़ और बाद में उनकी समाधि बनाई गई। और यहां पर एक मुख्य गुरुजी रहते थे जिनका नाम था श्री श्री 108 पूर्णानंद गिरी जी महाराज यह शिव जी के बहुत बड़े भक्त थे और इन्होंने शिवजी की कड़ी तपस्या की थी और जब उनको शिवजी की तरफ से संकेत मिला तो उन्होंने शिव मंदिर का निर्माण करवाया अपनी समाधि के पास और उन्होंने जीवित समाधि ली थी। और इस आश्रम के अंदर एक प्राचीन गुफा भी है जिसके अंदर महाराज शिवचंद्र जी ने तपस्या करते थे उसे समय उनका शरीर उसे गुफा के अंदर रहता था और वह 250 गांव के अंदर कथा करते थे। बड़ी चमत्कारी गुफा है और जैसे ही हम इस आश्रम से बाहर निकलते हैं तो हमें एक जोहड दिखता है। बहुत ही पुराना जोहड है। यह भी बहुत पुराना है यहां पर पुराना कुआं भी है जहां पर गांव की महिलाएं पहले पानी भरने जाती थी यह कुआं भी 200 300 साल पुराना है। धन्यवाद।
पारस द्वारा इस प्राचीन आश्रम की विस्तृत जानकारी वीडियो के माध्यम से डिजिटल बाल मेला को भेजी है। जिसे आप डिजिटल बाल मेला के यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं। डिजिटल मेला के इस अभियान “रूट्स ऑफ राजस्थान” की शुरुआत राजस्थान के 75वें स्थापना दिवस के मौके पर की है। आपको बता दें की इस अभियान का उद्देश्य बच्चों के दृष्टिकोण से राजस्थान की कला, संस्कृति एवं पर्यटन को बढ़ावा देना एवं बच्चों को राजस्थान की विरासत से परिचित करवाना है।
इसमें बच्चों को आठ से दस मिनट तक की वीडियो बनानी है जिसमें राजस्थान के पर्यटन स्थल एवं राजस्थान की कला और संस्कृति का विवरण हो। ये अभियान 30 जून तक चलेगा।
अपनी वीडियो को आप 30 जून तक डिजिटल बाल
मेला के टेलीग्राम, वाट्सएप एवं अधिकारिक वेबसाइट पर भेज सकते हैं। हर महीने सबसे श्रेष्ठ वीडियो भेजने वाले बच्चे को मोबाइल फोन ईनाम में मिलेगा एवं टॉप 100 बच्चों को विश्व पर्यटन दिवस पर यानी 27 सितंबर को तीन दिन का जयपुर भ्रमण करवाया जाएगा एवं तभी प्रथम स्थान पर रहने वाले बच्चे को पचास हज़ार का ईनाम, द्वितीय स्थान को बीस हज़ार, तृतीय स्थान को दस हज़ार के ईनाम से नवाज़ा जाएगा।
डिजिटल बाल मेला इससे पहले भी बच्चों की रचनात्मकता बढ़ाने के लिए “शेड्स ऑफ कोविड”
म्यूजियम थ्रू माय आइज” जैसे अभियानों का आयोजन कर चुका है।
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