तनय मिश्रा।
2 अक्टूबर को भारत में गाँधी जयंती के रूप में देखा जाता है। पर बहुत से लोगों को शायद यह नहीं पता होगा कि यह दिन पंचायती राज इतिहास में बहुत ही महत्वपूर्ण है।
जयपुर। 2 अक्टूबर को भारत में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जयंती के रूप में देखा जाता है। गाँधी जयंती होने की वजह से इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित है। इस दिन को देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के रूप में भी जाना जाता है। पर अगर इस दिन के पंचायती राज की दृष्टि से महत्व के विषय में लोगों से सवाल पूछा जाए, तो बहुत से लोगों को इस बारे में कोई भी अंदाज़ा नहीं होगा। आइए जानते हैं पंचायती राज की दृष्टि से इस ऐतिहासिक दिन का महत्त्व।
2 अक्टूबर का पंचायती राज इतिहास में महत्त्व
2 अक्टूबर को देशभर में लोग गाँधी जयंती के तौर पर देखते हैं। पर यह दिन सिर्फ गाँधी जयंती तक ही सीमित नहीं है। इस दिन को देश के इतिहास में एक एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में देखा जाता है। इसका कारण है पंचायती राज की स्थापना। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में शासन व्यवस्था के सुचारु संचालन के लिए 2 अक्टूबर 1959 को देश में पहली बार पंचायती राज की स्थापना हुई। और इस ऐतिहासिक पल का गवाह बना राजस्थान। राजस्थान के नागौर जिले के बगधरी गांव में तत्कालीन प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू ने इसी दिन पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना की थी। ऐसे में राजस्थान आधुनिक भारत में पंचायती राज व्यवस्था लागू करने वाला पहला राज्य बन गया। 2 अक्टूबर के दिन ही पंचायती राज व्यवस्था को लागू करने के पीछे का एक कारण यह भी था कि महात्मा गाँधी का मानना था कि देश के राजनीतिक ढाँचे की नींव पंचायती राज होनी चाहिए, जिससे देश के हर एक गाँव में शासन व्यवस्था को मज़बूती मिले। इसी के चलते जवाहरलाल नेहरू ने जब पहली बार पंचायती राज की स्थापना करने का फैसला किया, तो उन्होंने महात्मा गाँधी के जन्म दिवस को इस कार्य के लिए चुना। इसके बाद 24 अप्रैल 1993 को देश में पहली बार पंचायती राज अधिनियम पारित हुआ।
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डिजिटल बाल मेला अपने अभियान “मैं भी बाल सरपंच” के माध्यम से देश के ग्रामीण और पंचायती क्षेत्र के बच्चों को पंचायती राज प्रणाली के प्रति जागरूक करने का कार्य करता है। इस अभियान के तहत डिजिटल बाल मेला ऑनलाइन और ऑफलाइन सत्र करता है, जिनमें राज्य के दिग्गज नेता बच्चों से पंचायती राज प्रणाली पर संवाद भी करेंगे। इन बच्चों को राजस्थान के गाँव, ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और विद्यालयों के माध्यम से जोड़ा जाएगा। इस अभियान में कई तरह के सत्र, वीडियो एंट्री, क्विज़ और डिबेट प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की जाती हैं। इससे पहले डिजिटल बाल मेला “शेड्स ऑफ कोविड” पेंटिंग प्रदर्शनी का भी आयोजन कर चुका है।
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